नई दिल्ली, 25 सितम्बर (केएनएन) जबकि भारत अपनी ‘मेक इन इंडिया’ पहल की दसवीं वर्षगांठ मना रहा है, सरकारी आंकड़ों से देश के विनिर्माण और स्टार्टअप क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति का पता चलता है।
25 सितंबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किये गए इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केन्द्र के रूप में स्थापित करना तथा घरेलू नवाचार को प्रोत्साहित करना था।
पिछले दशक में, भारत में लगभग हर घंटे एक नया स्टार्टअप उभर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अनुमानतः 1.5 मिलियन नौकरियां पैदा हुई हैं।
स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत पंजीकृत स्टार्टअप्स की संख्या 2014 में 350 से बढ़कर आज 148,000 हो गई है, जिनमें से 45 प्रतिशत टियर II और टियर III शहरों से हैं।
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 2014 से अब तक 10 मिलियन से अधिक पेटेंट प्रदान किये जा चुके हैं, जो नवाचार और बौद्धिक संपदा विकास में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में, उद्यम पोर्टल पर अब 49.1 मिलियन से अधिक व्यवसाय पंजीकृत हैं, जिनमें 18.5 मिलियन महिला-स्वामित्व वाले उद्यम शामिल हैं।
इन पंजीकृत इकाइयों ने 211.7 मिलियन नौकरियां पैदा की हैं और वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 30.1 प्रतिशत का योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस पहल के प्रभाव पर विचार करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “मेक इन इंडिया हमारे देश को विनिर्माण और नवाचार का केंद्र बनाने के लिए 1.4 अरब भारतीयों के सामूहिक संकल्प को दर्शाता है। यह उल्लेखनीय है कि विभिन्न क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि हुई है, क्षमता का निर्माण हुआ है और इस प्रकार अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है।”
एमएसएमई मंत्रालय की राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने इस पहल को “विनिर्माण क्रांति को उत्प्रेरित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और विशेष रूप से एमएसएमई के लिए स्थानीय विनिर्माण और व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करने” का श्रेय दिया।
इस पहल में नीतिगत परिवर्तन भी हुए हैं, जिसमें 2020 में एमएसएमई परिभाषाओं में संशोधन भी शामिल है। नए मानदंडों ने एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत उद्यमों के दायरे का विस्तार किया है, जिसमें अब 25 अरब रुपये तक के कारोबार और 5 अरब रुपये तक के निवेश वाले उद्यम भी शामिल हैं।
‘मेक इन इंडिया’ अपने दूसरे दशक में प्रवेश कर रहा है, सरकार देश भर में आर्थिक विकास को गति देने और नवाचार को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका पर जोर दे रही है।
(केएनएन ब्यूरो)
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