पैगम्बर मोहम्मद की जयंती के अवसर पर खामेनेई ने एक्स पर लिखा, “इस्लाम के दुश्मनों ने हमेशा इस्लामी उम्माह के रूप में हमारी साझा पहचान के संबंध में हमें उदासीन बनाने की कोशिश की है। अगर हम म्यांमार, गाजा, भारत या किसी अन्य स्थान पर मुसलमानों द्वारा झेली जा रही पीड़ा से अनभिज्ञ हैं, तो हम खुद को मुसलमान नहीं मान सकते।”
ईरान के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “दुर्भावनापूर्ण लोग लंबे समय से इस्लामी दुनिया में, विशेष रूप से ईरान में, धार्मिक मतभेदों को बढ़ावा दे रहे हैं।”
इस ट्वीट के कुछ ही घंटों के भीतर भारत सरकार ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे “अस्वीकार्य” बताया।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हम ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा भारत में अल्पसंख्यकों के संबंध में की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। ये गलत सूचनाएं हैं और अस्वीकार्य हैं।”
मंत्रालय ने कहा, “अल्पसंख्यकों पर टिप्पणी करने वाले देशों को सलाह दी जाती है कि वे दूसरों के बारे में कोई भी टिप्पणी करने से पहले अपना रिकॉर्ड देखें।”
एक अलग पोस्ट में ईरानी नेता ने “गाजा और फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों” का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि “इस्लामिक उम्माह के सम्मान को बनाए रखने का महत्वपूर्ण लक्ष्य केवल एकता के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है”।
इससे पहले अगस्त 2019 में खामेनेई ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के भारत के फैसले पर भी टिप्पणी की थी और मुसलमानों की स्थिति पर चिंता जताई थी।
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा था, “हम कश्मीर में मुसलमानों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। भारत के साथ हमारे अच्छे संबंध हैं, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार कश्मीर के नेक लोगों के प्रति न्यायपूर्ण नीति अपनाएगी और इस क्षेत्र में मुसलमानों पर अत्याचार और धौंस-धमकी को रोकेगी।”
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