नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने हाल ही में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 21 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है। इन स्कूलों पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को ‘डमी एडमिशन’ देने का आरोप लगा था।
क्या है डमी एडमिशन (Dummy Admission)?
डमी एडमिशन में स्कूल सिर्फ नाम के लिए होता है। छात्र वास्तव में स्कूल नहीं जाते हैं, बल्कि कोचिंग संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। यह व्यवस्था स्कूलों के उपस्थिति के नियमों का उल्लंघन करती है, क्योंकि CBSE के अनुसार, 10वीं और 12वीं के छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं के लिए 75% उपस्थिति अनिवार्य है।
क्यों हुई यह कार्रवाई?
CBSE ने राजस्थान और दिल्ली में कई स्कूलों का औचक निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण में पाया गया कि कई स्कूलों में कक्षा 11वीं और 12वीं के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा और शिक्षक नहीं थे। साथ ही, इन स्कूलों में डमी एडमिशन का चलन भी व्यापक रूप से पाया गया।
कहां के स्कूल हुए प्रभावित?
इन 21 स्कूलों में से 16 दिल्ली में और 5 राजस्थान में स्थित हैं। इसके अलावा, 6 स्कूलों को सीनियर सेकेंडरी से सेकेंडरी स्तर तक डाउनग्रेड कर दिया गया है। दिल्ली में ये स्कूल मुख्य रूप से नरेला, नंगलोई, अलीपुर और मुंडका क्षेत्रों में केंद्रित हैं।
माता-पिता की क्या है राय?
बताया जाता है कि, इनमें से कई स्कूल कोचिंग संस्थानों से संबद्ध हैं। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ऐसे स्कूलों में एडमिशन दिलाना पसंद करते हैं, जहाँ क्लास में उपस्थित होने की अनिवार्यता न हो। हालांकि, CBSE के इस क़दम के बाद से ऐसे माता-पिता को अब अन्य विकल्प तलाशने होंगे।
CBSE का क्या कहना है?
CBSE का कहना है कि डमी एडमिशन का चलन स्कूली शिक्षा के मूल उद्देश्य के खिलाफ है और छात्रों के सर्वांगीण विकास को रोकता है। बोर्ड ने कहा कि वह इस तरह की प्रथाओं को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करेगा।
आगे क्या होगा?
CBSE ने सभी स्कूलों को चेतावनी दी है कि वे डमी एडमिशन लेने से बचें। बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास करेगा कि स्कूल वैध और नैतिक शैक्षिक प्रथाओं का पालन करें।
यह कार्रवाई शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करेगी कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
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