एक छोटे से बीज का बड़ा सपना

 

एक छोटा सा बीज, एक बड़े से पेड़ का सपना देखता था। वो अंधेरे में दबा हुआ था, ठंड महसूस कर रहा था। उसे लगता था कि वो कभी बाहर नहीं निकल पाएगा। लेकिन, उसके अंदर एक उम्मीद की किरण थी। वो उम्मीद उसे हर दिन आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती थी।

एक दिन, सूरज की किरण ने उस बीज को छुआ। उस किरण ने बीज को बताया कि वो बहुत ख़ास है। उसने बीज को बताया कि वो एक दिन बड़ा पेड़ बन सकता है। बीज ने उस किरण की बातों को दिल से लगा लिया। उसने अपनी सारी ताक़त लगाकर धरती के सीने को चीरते हुए बाहर निकल आया।

बाहर निकल कर बीज ने देखा कि दुनिया कितनी ख़ूबसूरत है। उसने आसपास के पेड़ों को देखा और सोचा कि वो भी एक दिन उनके जैसा बड़ा और मज़बूत होगा। उसने धूप और पानी का भरपूर उपयोग किया और दिन-रात बढ़ता रहा।

कुछ समय बाद, वो एक छोटा सा पौधा बन गया। उसने पत्तियां निकाली और हवा में लहराने लगा। वो पक्षियों के लिए घर और कीड़ों के लिए भोजन बन गया। उसने आसपास के जीव-जंतुओं को ख़ुशी दी।

वो पौधा दिन-ब-दिन बढ़ता गया। उसने तूफानों का सामना किया, सूखे का सामना किया, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। वो हमेशा मज़बूत होता गया।

अंत में, वो एक बड़ा पेड़ बन गया। उसकी शाखाएं आसमान को छू रही थीं। उसकी जड़ें धरती में गहरी थीं। वो पक्षियों का घर, जानवरों की छाया और इंसानों का दोस्त बन गया।

वो पेड़ हमेशा याद रखता था कि वो एक छोटे से बीज से कैसे एक बड़ा पेड़ बना। उसने दूसरों को भी प्रेरित किया कि वो अपने सपनों को कभी ना छोड़ें। उसने उन्हें बताया कि अगर वो मेहनत करेंगे तो वो भी कुछ भी हासिल कर सकते हैं।

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