हिमालय के एक छोटे से गाँव में रहती थी आन्या। आन्या एक साधारण सी लड़की थी, लेकिन उसके दिल में एक असाधारण साहस छिपा हुआ था। गाँव के लोग अक्सर उसे डरावनी कहानियां सुनाते थे कि गाँव के पीछे के जंगल में एक भयानक राक्षस रहता है। राक्षस इतना डरावना था कि कोई भी उस जंगल में जाने की हिम्मत नहीं करता था।
एक दिन, गाँव के लोगों ने देखा कि गाँव का पानी सूख रहा है। नदी का पानी भी गंदा हो चुका था। गाँव के लोग बहुत परेशान थे। उन्हें पता था कि अगर जल्द ही पानी नहीं मिला तो सबकी जान खतरे में पड़ जाएगी।
आन्या ने गाँव वालों की परेशानी देखी और उसने एक फैसला किया। वह जंगल में जाकर राक्षस से बात करेगी और उससे पानी वापस लाने के लिए कहेगी। गाँव वाले आन्या को मना करने लगे, लेकिन आन्या नहीं मानी। वह जानती थी कि अगर उसे कुछ करना है तो उसे खुद ही आगे आना होगा।
आन्या ने एक छोटा सा बर्तन और कुछ फल लेकर जंगल में रवाना हो गई। जंगल बहुत घना था और रास्ते में कई तरह के जानवर थे। लेकिन आन्या डरी नहीं। वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही।
आखिरकार, आन्या उस जगह पर पहुंच गई जहाँ राक्षस रहता था। राक्षस बहुत बड़ा और डरावना दिखाई दे रहा था। लेकिन आन्या ने हिम्मत नहीं हारी। उसने राक्षस से विनती की कि वह गाँव वालों को पानी दे दे।
राक्षस ने आन्या को देखा और मुस्कुराया। उसने कहा, “तुम बहुत बहादुर हो, बच्ची। मैं तुम्हारी हिम्मत से बहुत प्रभावित हुआ हूँ। मैं तुम्हें पानी दे दूंगा, लेकिन तुम मुझे एक वादा करोगी।”
आन्या ने पूछा, “कौन सा वादा?”
राक्षस ने कहा, “तुम कभी किसी से डरोगी नहीं।”
आन्या ने वादा किया और राक्षस ने उसे एक झरने का रास्ता दिखाया। झरने का पानी बहुत साफ और ठंडा था। आन्या ने अपना बर्तन पानी से भर लिया और गाँव की ओर चल पड़ी।
गाँव में पहुँचकर आन्या ने पानी सबको बांटा। गाँव वाले बहुत खुश हुए। उन्होंने आन्या को बहादुर लड़की कहा।
आन्या की इस बहादुरी ने गाँव वालों को भी प्रेरित किया। उन्होंने मिलकर एक नई नहर बनाई और गाँव में पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो गई।
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