कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) घोटाले में जांच कराने के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि वह भाजपा और जेडी(एस) की साजिश से डरते नहीं हैं और कानूनी विशेषज्ञों और मंत्रियों के साथ इस पर चर्चा करेंगे कि इससे कैसे लड़ा जाए।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने में सफल नहीं होंगे।
उन्होंने कहा, “हो सकता है कि वे पहले सफल रहे हों, लेकिन इस बार नहीं। यह कोई मुकदमा नहीं है। मैं कानूनी विशेषज्ञों और मंत्रियों से इस बारे में चर्चा करूंगा कि इससे कैसे लड़ा जाए और आगे का फैसला लूंगा। हम भाजपा और जेडी(एस) की साजिश से नहीं डरेंगे, साथ ही राज्यपाल के कार्यालय से भी नहीं डरेंगे। लोगों ने हमें आशीर्वाद दिया है। मुझे उनका आशीर्वाद प्राप्त है। मुझे हाईकमान और पार्टी नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है।”
उन्होंने कहा कि राज्य की जनता इस राजनीतिक संघर्ष में उनके साथ है।
सीएम सिद्धारमैया ने कहा, “मैं कानून और संविधान में विश्वास करता हूं। इस लड़ाई में आखिरकार सत्य की जीत होगी। यह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की बदले की राजनीति के खिलाफ लड़ाई है। भाजपा और जेडीएस की इस बदले की राजनीति के खिलाफ हमारा न्यायिक संघर्ष जारी रहेगा। मुझे न्यायालय पर भरोसा है।”
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कांग्रेस आलाकमान के सभी विधायक नेता और कार्यकर्ता उनके साथ खड़े हैं और उन्हें लड़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने कहा, “बीजेपी और जेडीएस ने मेरे खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा लिया है क्योंकि मैं गरीबों का समर्थक हूं और सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहा हूं। अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में, मैंने इस तरह की बदला लेने वाली और साजिश की राजनीति का सामना किया है और मैं राज्य के लोगों के आशीर्वाद और इच्छाओं की ताकत से जीतता रहा हूं।”
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि कर्नाटक की जनता ने भाजपा को अपने दम पर सत्ता में आने के लिए पर्याप्त बहुमत नहीं दिया है और अब तक वह अनैतिक तरीके से ‘ऑपरेशन कमल’ चलाकर सत्ता में आई है।
उन्होंने कहा, “पिछले विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता ने ऑपरेशन कमल को कोई मौका दिए बिना हमारी पार्टी को 136 सीटों पर जीत दिलाई थी। इससे हताश होकर भाजपा और जेडीएस नेताओं ने राजभवन का फायदा उठाकर हमारी सरकार को परेशान करने के लिए मुझ पर झूठे आरोप लगाए हैं।”
इस बीच, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा उनकी पत्नी को भूखंड आवंटित करने में कथित अवैधताओं के मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को चुनौती दी थी।
अपने फैसले में न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने कहा कि अभियोजन की मंजूरी का आदेश राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग न करने से प्रभावित नहीं है।
आरोप है कि MUDA ने मैसूर शहर के प्रमुख स्थान पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को अवैध रूप से 14 भूखंड आवंटित किए। उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को पारित अपने अंतरिम आदेश में सिद्धारमैया को अस्थायी राहत देते हुए बेंगलुरु की एक विशेष अदालत को आगे की कार्यवाही स्थगित करने और राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के अनुसार कोई भी जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करने का निर्देश दिया था।
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