दिल का हाल सुनाने को यारो।
फिर वही चौपाल है।
वही पान की टपरी है।
वही टी स्टॉल है।
सत्ताधारी झूठे दावे करते हैं।
जनता बड़ी खुशहाल है।
हकीकत उनको भी पता है कि लोग कितने तंग हाल हैं।
मिलती नहीं उनको दो वक्त की रोटी दाल है।
नेताओं के तो सब करीबी लखपति मालामाल है।
खैर, कोई बात नहीं।
अब चुनाव आ गए हैं।
अब तो होंगी यार नोटों की भरमार।
कोई देगा पांच सौ, कोई देगा हज़ार।
बिरयानी और मुर्गा लेकर जाएंगे बीयर बार।
चार दिनों का नशा कराकर तबियत मस्त कर देते हैं।
पांच सालों के लिए दाने-दाने को त्रस्त कर देते हैं।
अफसर हमारे देश की व्यवस्था को भ्रष्ट कर देते हैं।
नेता हमारे देश को ही नष्ट कर देते हैं।
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