बिहार की बढ़ती मिट्टी का क्षरण: किसानों और कृषि के लिए एक संकट | पटना समाचार
पटना: राज्य के मृदा वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने बिहार की बढ़ती मिट्टी के क्षरण को चिह्नित किया है, जिसने पहले से ही भौगोलिक क्षेत्र को प्रभावित किया है, जिससे कृषि उत्पादकता में भारी गिरावट आई है और लाखों किसानों की आजीविका प्रभावित हुई है।इसरो के सैटेलाइट एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) द्वारा प्रकाशित 'भारत के क्षरण और भूमि मरुस्थलीकरण एटलस' के अनुसार, राज्य में कुल निम्नीकृत भौगोलिक क्षेत्र 2011-12 में 7.38%, 2018-19 में 7.93% और 2021 में 8.87% था। -22.2021-22 में प्रकाशित नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि बिहार में 7.50 लाख हेक्टेयर से अधिक मिट्टी विभिन्न कारणों से खराब हो गई है। इससे पता चला कि जल कटाव का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है, जिससे राज्य की 3.21 लाख हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है। अन्य प्रमुख प्रक्रियाओं में वनस्पति क्षरण (2.42 लाख हेक्टेयर) और निपटान (28,200 हेक्टेयर) शामिल हैं, रिपोर...