एक बार की बात है, एक छोटी सी किरण ने अंधेरे कमरे में जन्म लिया। वह कमरा बहुत अंधेरा था, इतना अंधेरा कि किरण को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। वह डर गई और रोने लगी।
तभी एक बूढ़ी दीया ने किरण को देखा और कहा, “बेटी, डरो मत। तुम बहुत खूबसूरत हो। तुम्हारे अंदर बहुत रोशनी है।”
किरण ने पूछा, “लेकिन दादी, यह अंधेरा कमरा… मैं कुछ भी नहीं कर सकती।”
दीया ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटी, रोशनी का काम सिर्फ चमकना ही नहीं होता। रोशनी का काम अंधेरे को दूर करना भी होता है। तुम अपनी इस छोटी सी रोशनी से भी इस कमरे को थोड़ा सा रोशन कर सकती हो।”
किरण ने दीया की बातों को ध्यान से सुना और हिम्मत जुटाकर अपनी रोशनी फैलाना शुरू किया। उसकी छोटी सी रोशनी ने कमरे के एक छोटे से कोने को रोशन कर दिया।
किरण को देखकर कमरे में रखी हुई किताबें भी खुश हो उठीं। उन्होंने कहा, “किरण, तुमने हमारे अंदर की कहानियों को जीवंत कर दिया है।”
किरण की रोशनी से एक छोटा सा पौधा भी खिल उठा। उसने कहा, “किरण, तुमने मुझे जिंदगी दी है।”
धीरे-धीरे किरण की रोशनी पूरे कमरे में फैल गई। कमरा अब पहले जैसा अंधेरा नहीं रहा था। किरण ने महसूस किया कि वह बहुत खुश है। उसने समझ लिया था कि छोटी सी रोशनी भी बहुत बड़ा काम कर सकती है।
इसे शेयर करें: