मोदी ने अपने संबोधन में चौहान द्वारा ‘किसान हितैषी’ निर्णयों के लाभों के बारे में एक्स पर की गई कई पोस्टों का जवाब देते हुए कहा, “हम अपने किसान भाइयों और बहनों के लाभ के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जो देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं… ऐसे निर्णय (प्याज, बासमती चावल और खाद्य तेलों पर) हमारे खाद्य उत्पादकों को बहुत लाभान्वित करने वाले हैं। इन निर्णयों से जहां उनकी आय बढ़ेगी, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।”
सरकार ने शुक्रवार को प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाने और इस पर निर्यात शुल्क 40% से घटाकर 20% करने, बासमती चावल पर एमईपी हटाने तथा कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों के आयात पर शुल्क 12.5% से बढ़ाकर 32.5% और इनके रिफाइंड तेलों पर शुल्क 13.75% से बढ़ाकर 35.75% करने का निर्णय लिया।
तीन फैसलों का जिक्र करते हुए शाह ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि सरकार किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए निर्यात को बढ़ावा दे रही है, जिससे उन्हें अपनी उपज का अधिकतम मूल्य मिल सके। उन्होंने कहा कि प्याज पर फैसले से प्याज उत्पादक किसानों की आय में वृद्धि होगी, जबकि बासमती चावल पर फैसले से बासमती चावल उत्पादक किसान निर्यात कर सकेंगे और अधिक मुनाफा कमा सकेंगे।
शाह के विचारों से सहमति जताते हुए चौहान ने कहा कि सभी तिलहन किसानों, खासकर सोयाबीन और मूंग किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे, जिनकी फसलें बाजार में आने वाली हैं। साथ ही सोया खली का उत्पादन भी बढ़ेगा और इसका निर्यात भी किया जाएगा।
कृषि मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि खाद्य तेलों पर निर्णय से आगामी रबी (सर्दियों की बुवाई) सीजन के दौरान सरसों सहित तिलहनों का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस कदम से रिफाइंड तेल के लिए सरसों, सूरजमुखी और मूंगफली की फसलों की मांग बढ़ेगी।
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