नई दिल्ली, 12 सितम्बर (केएनएन) भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए, केंद्रीय पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने समुद्री खाद्य निर्यात को सालाना एक लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए श्री सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि आजादी के बाद से इस क्षेत्र की उपेक्षा की गई है, लेकिन वर्तमान सरकार इसमें परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
नई दिल्ली में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री ने बताया कि पीएमएमएसवाई के तहत उठाए जा रहे कदमों से समुद्री खाद्य निर्यात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जो पिछले वित्त वर्ष में 60,000 करोड़ रुपये था।
उन्होंने मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) नामक एक नई उप-योजना भी शुरू की, जिसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र की नींव को और मजबूत करना है।
पीएम-एमकेएसएसवाई योजना को 6,000 करोड़ रुपये का पर्याप्त निवेश प्राप्त होगा और मछली श्रमिकों और उद्यमों सहित हितधारकों के लिए डिजिटल पहचान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इस डिजिटल रजिस्ट्री से देश भर में मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला से जुड़े लगभग तीन करोड़ व्यक्तियों और व्यवसायों को लाभ होगा।
इन पहचानों के साथ, हितधारक राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के माध्यम से संस्थागत ऋण, प्रदर्शन अनुदान, जलीय कृषि बीमा और अन्य लाभों तक पहुंच बनाने में सक्षम होंगे।
“प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ने 2020 में अपनी शुरुआत के बाद से ही 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ इस क्षेत्र को बदल दिया है। 2013-14 में 95.79 लाख टन से 2023-24 में मछली उत्पादन में 175.45 लाख टन की वृद्धि, हमारी प्रगति का प्रमाण है,” श्री सिंह ने 2014 के बाद सरकार के बुनियादी ढांचे के विकास और तकनीकी नवाचारों को श्रेय देते हुए कहा।
दशकों की उपेक्षा के बावजूद, मत्स्य पालन पर वर्तमान ध्यान ने भविष्य के प्रति आशावाद उत्पन्न किया है।
सरकार की स्पष्ट दृष्टि और मजबूत योजनाओं के साथ, यह क्षेत्र भारत की आर्थिक वृद्धि और वैश्विक समुद्री खाद्य व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है, साथ ही देश भर में लाखों मत्स्य श्रमिकों के लिए समृद्धि सुनिश्चित करेगा।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना और इसकी नई उप-योजना सहित केंद्र के निरंतर प्रयास भारत के मत्स्य उद्योग के लिए एक नए युग का संकेत देते हैं, जो अब देश की अर्थव्यवस्था की आधारशिला बनने के लिए तैयार है।
(केएनएन ब्यूरो)
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