गाँव के किनारे एक छोटा सा झोपड़ा था, जिसमें रहता था एक लड़का जिसका नाम था रवि। रवि बाकी बच्चों की तरह शरारती तो था, लेकिन उसमें कोई खास ताकत नहीं थी। न वह तेज़ दौड़ सकता था, न ही ऊँची छलांग लगा सकता था। गाँव के बड़े-बूढ़े उसे प्यार से ‘रविया’ कहते थे।
एक दिन, गाँव के पास बहने वाली नदी में बाढ़ आ गई। नदी का पानी तेज़ी से बढ़ रहा था और गाँव को डूबने का खतरा था। गाँव वाले बहुत घबराए हुए थे। वे नहीं जानते थे कि अब क्या करें।
तभी रवि को एक विचार आया। उसने देखा कि गाँव के बाहर एक बड़ा सा पेड़ है। वह पेड़ नदी के किनारे लगा हुआ था और उसकी जड़ें बहुत मज़बूत थीं। रवि ने सोचा कि अगर वह उस पेड़ पर चढ़ जाए तो शायद वह ऊपर से देख सके कि बाढ़ का पानी कहाँ तक बढ़ रहा है।
रवि ने हिम्मत करके पेड़ पर चढ़ना शुरू किया। पेड़ बहुत ऊँचा था, लेकिन रवि ने हार नहीं मानी। उसने धीरे-धीरे ऊपर चढ़ना जारी रखा। जब वह पेड़ की सबसे ऊँची डाल पर पहुँच गया तो उसने नीचे देखा।
नीचे का नज़ारा बहुत ही भयानक था। पूरा गाँव पानी में डूबा हुआ था। रवि बहुत डर गया, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने सोचा कि उसे कुछ करना होगा।
तभी रवि ने देखा कि गाँव के दूसरे छोर पर एक छोटी सी पहाड़ी है। अगर वह किसी तरह उस पहाड़ी तक पहुँच जाए तो शायद वह वहाँ से गाँव वालों को बचाने का कोई रास्ता ढूँढ सके।
रवि पेड़ से उतरा और तेज़ी से पहाड़ी की ओर दौड़ लगा दी। रास्ते में उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार वह पहाड़ी पर पहुँच गया।
पहाड़ी से उसने देखा कि गाँव के पास एक बड़ा सा पत्थर है। अगर उस पत्थर को नदी में गिरा दिया जाए तो शायद बाढ़ का पानी रुक जाए।
रवि ने गाँव वालों को इकट्ठा किया और उन्हें अपनी योजना बताई। गाँव वाले पहले तो रवि की बात पर विश्वास नहीं कर रहे थे, लेकिन जब उन्होंने रवि की हिम्मत और दृढ़ता देखी तो वे भी उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गए।
सभी मिलकर उन्होंने उस बड़े से पत्थर को नदी में गिरा दिया। जैसे ही पत्थर पानी में गिरा, बाढ़ का पानी रुक गया। गाँव वाले बहुत खुश हुए। उन्होंने रवि को बचाने का हीरो कहा।
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