पीएम-जनमन के तहत 20 साल बाद छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में कमजोर आदिवासियों के घरों तक पहुंची बिजली


विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लोगों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि 20 साल बाद बलरामपुर जिले के भेसकी गांव में प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तहत उनके घरों में बिजली पहुंची है।

प्रधानमंत्री जनमन 2 के तहत 20 साल बाद छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में कमजोर आदिवासियों के घरों तक पहुंची बिजली – द न्यूज मिल
प्रधानमंत्री जनमन 3 के तहत 20 साल बाद छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में कमजोर आदिवासियों के घरों तक पहुंची बिजली – द न्यूज मिल
भेसकी गांव के सरपंच भजन राम ने कहा, “बीस साल से बिजली नहीं थी। अब बिजली आ गई है और हमें इससे काफी राहत मिली है। पिछले 15-20 साल से यहां के लोग अंधेरे में जी रहे थे…”
प्रधानमंत्री जनमन 4 के तहत 20 साल बाद छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में कमजोर आदिवासियों के घरों तक पहुंची बिजली – द न्यूज मिल
बलरामपुर के डीसी रेमिगियस एक्का ने बताया, “प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तहत यह अभियान चलाया जा रहा है। जिले में 235 अलग-अलग जगहों पर पहाड़ी कोरवाओं की बस्तियाँ हैं, जिनमें 5070 लोग रहते हैं, जिनमें से 1011 घरों में बिजली नहीं थी और अब इन घरों में बिजली का कनेक्शन दे दिया गया है…”
इससे पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेखांकित किया कि 2014 से देश के गरीब, दलित, वंचित और आदिवासी परिवारों को सशक्त बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं और कहा कि देश भर में आदिवासी भाइयों और बहनों के लिए पीएम जनमन योजना चलाई जा रही है।
जमशेदपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री जनमन योजना के माध्यम से उन जनजातियों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है जो अत्यंत पिछड़े हैं और अधिकारी स्वयं ऐसे परिवारों तक पहुंचकर उन्हें घर, सड़क, बिजली, पानी और शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) की पहली किस्त आज शुरू की जा रही है, जिससे हजारों लाभार्थियों को पक्के मकान सुनिश्चित होंगे।
उन्होंने कहा कि पीएमएवाई-जी के साथ-साथ शौचालय, पेयजल, बिजली और गैस कनेक्शन जैसी अन्य सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अपने वर्तमान को स्थिर करने के साथ-साथ आदिवासी समुदाय ने अपने बेहतर भविष्य के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया है





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