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मनरेगा के तहत 2017-18 में 86 फीसदी मजदूरी का भुगतान समय से किया गया

मनरेगा के तहत, अप्रैल से जून 2017 में खासकर जल संरक्षण कार्यों में दिहाड़ी मजदूरों की मांग बढ़ी है। लगभग 75 करोड़ व्यक्ति के लिए पहले से ही काम उपलब्ध है और 15 जुलाई 2017 तक इसके बढ़ने की संभावना है। इसका अर्थ है कि मनरेगा के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में लगभग 80 लाख से 1 करोड़ लोग प्रतिदिन काम कर रहे हैं। इनमें से 86 फीसदी से ज्यादा लोगों को 15 दिन के भीतर भुगतान किया है। पिछले सालों के मुकाबले यह महत्वपूर्ण सुधार है। 99 फीसदी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (ई-एफएमएस) के जरिये किया जाता है। केन्द्र सरकार ने समय से कोष प्रदान करना सुनिश्चित किया है और राज्यों ने समय पर भुगतान करने के लिए कार्यान्वयन प्रणाली को सुदृढ़ किया।कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों पर बल देने के लिए कार्यक्षेत्र पर 74 फीसदी व्यय किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन ने जल संचयन और जल संरक्षण के लिए 2,26...
कृषि व्यवसाय

प्राकृतिक रेशा भारतीय वस्त्र उद्योग की रीढ़ है: केन्द्रीय कृषि मंत्री

गांधीनगर (पीआईबी न्यूज़): केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक रेशों का क्षेत्रीय विकास देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका आर्थिक महत्व और सामाजिक विकास में गहरा प्रभाव है। यह वक्तव्य उन्होंने टेक्सटाइल इंडिया 2017, गांधीनगर, गुजरात में दिया। मंत्री ने बताया कि प्राकृतिक रेशे भारतीय वस्त्र उद्योग की नींव हैं, जो उद्योग के 60% से अधिक हिस्से का योगदान करते हैं। कृषि के बाद, यह उद्योग लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। छोटे और मध्यम उद्योग भी प्राकृतिक रेशों के उप-उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं। विश्वभर में 75 मिलियन से अधिक परिवार प्राकृतिक रेशों के उत्पादन में लगे हैं, जबकि भारत में लगभग 30 लाख किसान इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में प्राकृतिक रेशों को कृत्रिम रेशों जैसे ऐक्रेलिक और पॉलिएस्टर से ...